आज ये मंज़र ,ये वक़्त कुछ और है, आज कलम के लफ़्ज़ों में आवाज़ कुछ और है। आज ये मंज़र ,ये वक़्त कुछ और है, आज कलम के लफ़्ज़ों में आवाज़ कुछ और है।
ये लंगोटधारी ये लंगोटधारी
वक़्त समंदर... वक़्त समंदर...
लूट गया सब कुछ यूं खड़ा खड़ा बूंद बूंद वो गिर पड़ा.. लूट गया सब कुछ यूं खड़ा खड़ा बूंद बूंद वो गिर पड़ा..
गर्मी की तपन न ठंड की कंपन, मन प्रफुल्लित जो करे बाग देख हरी-भरे गर्मी की तपन न ठंड की कंपन, मन प्रफुल्लित जो करे बाग देख हरी-भरे